जानिए वोट डालने के बाद ऊँगली पर लगने वाले स्याही के बारे में
Friends हमारे भारत देश में 18 वर्ष होने पर वोट डालने का अधिकार मिल जाता है ,जब मतदान करने मतदान केंद्र में जाते है तो ,मतदाता के ऊँगली में एक अमिट स्याही लगाया जाता है ,जो बहुत दिनों बाद मिटता है ,आज के लेख में मै आप लोगो को इस अमिट स्याही के बारे में बता रहा हूँ |
Friends हमारे भारत देश में 18 वर्ष होने पर वोट डालने का अधिकार मिल जाता है ,जब मतदान करने मतदान केंद्र में जाते है तो ,मतदाता के ऊँगली में एक अमिट स्याही लगाया जाता है ,जो बहुत दिनों बाद मिटता है ,आज के लेख में मै आप लोगो को इस अमिट स्याही के बारे में बता रहा हूँ |
भारत में कहां बनती है ऐसी स्याही?
यह स्याही भारत में केवल एक जगह ही बनती है. वो है मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड. यह कंपनी कर्नाटक सरकार के अधीन है और इसके चेयरमैन हैं मैसूर के पूर्व मेयर अनंत. हालांकि यह कंपनी तो मैसूर के महाराजा द्वारा 1937 में स्थापित की गई थी. उस वक्त इसका नाम था Mysore Lac and Paints Limited. आजादी के बाद इस कंपनी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का दर्जा मिला|
यह स्याही भारत में केवल एक जगह ही बनती है. वो है मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड. यह कंपनी कर्नाटक सरकार के अधीन है और इसके चेयरमैन हैं मैसूर के पूर्व मेयर अनंत. हालांकि यह कंपनी तो मैसूर के महाराजा द्वारा 1937 में स्थापित की गई थी. उस वक्त इसका नाम था Mysore Lac and Paints Limited. आजादी के बाद इस कंपनी को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का दर्जा मिला|
कब से चुनावों में लगती है यह स्याही?
1962 में इस कंपनी को अमिट स्याही बनाने का मिला. इस स्याही का इस्तेमाल पहली बार तीसरे लोकसभा चुनाव में हुआ जो 1962 में हुए थे. इस कंपनी द्वारा तैयार स्याही केवल भारत में ही नहीं, विदेशों में भी काम आती है. थाइलैंड, सिंगापुर, नाइजीरिया, मलेशिया और साउथ अफ्रीका में इस स्याही का निर्यात किया जाता है. कंपनी ने 2012 में कंबोडिया में हुए आम चुनावों के लिए भी स्याही बनाई है |
1962 में इस कंपनी को अमिट स्याही बनाने का मिला. इस स्याही का इस्तेमाल पहली बार तीसरे लोकसभा चुनाव में हुआ जो 1962 में हुए थे. इस कंपनी द्वारा तैयार स्याही केवल भारत में ही नहीं, विदेशों में भी काम आती है. थाइलैंड, सिंगापुर, नाइजीरिया, मलेशिया और साउथ अफ्रीका में इस स्याही का निर्यात किया जाता है. कंपनी ने 2012 में कंबोडिया में हुए आम चुनावों के लिए भी स्याही बनाई है |
अमिट स्याही बनाने का काम बेहद सुरक्षित और गोपनीय तरीके से होता है. इस स्याही को बनाने का फॉर्मूला नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी ऑफ इंडिया द्वारा तैयार किया गया है. इस स्याही का निशान उंगली पर करीब 20 दिनों तक रहता है|
Post a Comment