जानिए विजयदशमी के बारे में 


वि
जय दशमी की हार्दिक शुभकामनाए भगवान ने इस दिन ही लंका पर चढ़ाई करके विजय प्राप्त की थी। इस दिन नीलकंठ का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है।


                                    



दोस्तों आज मै आप लोगो को नीलकण्ठ महादेव जी के दर्शन करा दू जहा आप लोग गए तो होंगे पर ठीक से नीलकण्ठ महादेव जी के दर्शन नहीं कर पाए होंगे आज मै आपको नीलकण्ठ महादेव जी के दर्शन करवाऊंगा आज में अपने साईट पर नीलकण्ठ महादेव जी के ऐसे फोटो दे रहा हू जो आपको कभी नहीं मिलेंगे आप इन फोटो को अपने मंदिर में भी लगा सकते है
 एक नजर यहाँ पर भी डाले 

              भगवान की प्रतिज्ञा 



                                             मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख,
                                             तेरे सब मार्ग न खोल दुँ तो कहना॥
                                             मेरे लिए खर्च करके तो देख,
                                            कुबेर के भंडार न खोल दुँ तो कहना॥
                                            मेरे लिए कडवे वचन सुनकर तो देख,
                                               कृपा न बरसे तो कहना॥


मेरी तरफ आ के तो देख,
तेरा ध्यान न रखूं तो कहना॥
मेरी बाते लोगो से करके तो देख,
तुझे मुल्यवान न बना दुँ तो कहना॥
मेरे चरित्रों का मनन करके तो देख,
ज्ञान के मोती तुझमें न भर दुँ तो कहना॥


                                              मुझे अपना मददगार बना के तो देख,
                                              तुम्हें सबकी गुलामी से न छुडा दुँ तो कहना॥ 
                                              मेरे लिए आँसू बहा के तो देख,
                                               तेरे जीवन में आंनद के सागर न बहा दुँ तो कहना॥
                                               मेरे लिए कुछ बन के तो देख,
                                               तुझे कीमती न बना दुँ तो कहना॥


मेरे मार्ग पर निकल कर तो देख,
तुझे शान्तिदूत न बना दुँ तो कहना॥
स्वयं को न्यौछावर करके तो देख,
तुझे मशहूर न कर दुँ तो कहना॥
मेरा कीर्तन करके तो देख,
जगत का विस्मरण न करा दुँ तो कहना॥
तु मेरा बन के तो देख,
हर एक को तेरा न बना दुँ तो कहना॥


श्री नीलकण्ठ महादेव जी का इतिहास

मृत प्राप्ति के लिए दैत्यों और देवताओ ने समुद्र मंथन के द्वारा उत्पन्न प्रसिद्व कालकूट नामक विष को पीकर मणिकूट पर्वत के मूल मे स्थित भगवान श्री नीलकण्ठ जी है, जो भक्तों का कल्याण करने वाले हैं।

श्री नीलकण्ठ महादेव जी के पहुचानने का मार्ग निम्न है।
ऋषिकेश तथा लक्ष्मण झूला के मध्य में गंगा जी के पूर्वी भाग में स्थित पर्वत का नाम मणिकूट है। इसी मणिकूट पर्वत के अग्नि पार्श्व में स्वयंम्भू लिंग के रूप में श्री नीलकण्ठ महादेव जी विराजमान है।
श्री नीलकण्ठ महादेव जी के मन्दिर जाने के लिये लक्ष्मण झूला के पास आपको बहुत गाडी मिलेगी जिसके द्वारा आप बहुत ही कम समय मे नीलकण्ठ पहुँच जाओगे। अगर आप पैदल जाना चाहते हो तो स्वर्गाश्रम के उत्तरी पार्श्व से एक मार्ग जाता है, इस मार्ग से आगे जाने पर पर्वत की तलहटी से लगा हुआ समतल मार्ग चिल्लाह-कुन्हाव को जाता है। उसी मार्ग पर डेढ किलोमीटर चलने पर एक पहाडी झरना आता है। उस झरने को पार करते ही उस मार्ग को छोड़कर बायीं ओर मुड जाना पडता है। वहां पर तीर के निशान सहित श्री नीलकण्ठ महादेव जी के नाम का बोर्ड लगा हुआ है। तीर के निशान द्वारा उसी दिशा की ओर आगे बढ कर श्री नीलकण्ठ महादेव जी का वास्तविक मार्ग आरम्भ होता है।
इस मार्ग पर डेढ किलोमीटर आगे चलने पर नीचे की ओर स्वर्गाश्रम, लक्ष्मण झूला एवं गंगा जी का द्रश्य बहुत सुन्दर दिखाई देता है। लगभग दो किलोमीटर आगे चलने पर पानी का एक छोटा सा तालाब आता है इसमे पहाडी से पानी हर समय बूंद बूंद निकलता रहता है इसमे बारहों महीने पानी रहता है। इसको बीच का पानी कहते है। यह पानी स्वर्गाश्रम तथा श्री नीलकण्ठ महादेव जी के मध्य मे माना जाता है यहाँ से दो किलोमीटर आगे चलने पर पानी की टंकी आती है। यहॉ पर चाय की दुकान रहती है यहां थोडा विश्राम कर लेना चाहिये। अब चढ़ाई समाप्त हो गई है। यहां से लगभग २०० मीटर की दूरी चलने पर पर्वतों के शिखरो के परस्पर मिलने से बने हुए एक छोटे से मैदान में पहुंच जाते हैं। यहां खडे होने पर बांई ओर मणिकूट पर्वत, दाहिनी ओर विष्णुकूट पर्वत ओर सम्मुख ब्रह्मकूट पर्वत के शिखर पर श्री भुवनेश्वरी पीठ एवं तीनो पर्वतों के संधिमूल में श्री नीलकण्ठ महादेव जी दिखाई देते है। 
गंगा जी के प्रवाह से मणिकूट पर्वत की उंचाई ४५०० फिट है। मणिकूट पर्वत से लगभग १५०० फिट नीचाई पर श्री नीलकण्ठ महादेव जी का मन्दिर है।


 श्री नीलकण्ठ महादेव जी

                                



                                                 

                       
                                       

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