Holi Special प्रेरक प्रसंग ,वॉलपेपर ,श्लोक
नमस्कार दोस्तों रगों का पर्व होली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाये , अच्छे से होली मनाये और प्रकृति का भी ध्यान रखे ताकि प्रकृति को भी कोई नुकसान ना पहुचे , दोस्तों मैं आज के लेख में होली मनाने का कुछ तथ्य प्रेरक प्रसंगों का संग्रह लाया हूँ , जिसका अवलोकन आप निचे के लेख में कर सकते है |
नमस्कार दोस्तों रगों का पर्व होली की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाये , अच्छे से होली मनाये और प्रकृति का भी ध्यान रखे ताकि प्रकृति को भी कोई नुकसान ना पहुचे , दोस्तों मैं आज के लेख में होली मनाने का कुछ तथ्य प्रेरक प्रसंगों का संग्रह लाया हूँ , जिसका अवलोकन आप निचे के लेख में कर सकते है |
1. प्रह्लाद और होलिका का प्रसंग तो लगभग बहुत लोग जानते हैं।
दोनों की कथा विष्णु पुराण में उल्लिखित है। हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर वरदान प्राप्त कर लिया।
अब वह न तो पृथ्वी पर मर सकता था, न आकाश में, न दिन में, न रात में, न घर में, न बाहर, न अस्त्र से, न शस्त्र से, न मानव से, न पशु से।
वरदान के बल से उसने देवताओं-मानव आदि लोकों को जीत लिया और विष्णु पूजा बंद करा दी, परन्तु पुत्र प्रह्लाद को नारायण की भक्ति से विमुख नहीं कर सका।
हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को बहुत यातनाएं दीं परन्तु उसने विष्णु भक्ति नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी।
अत: दैत्यराज ने होलिका को प्रह्लाद का अंत करने के लिए प्रह्लाद सहित आग में प्रवेश करा दिया परन्तु होलिका का वरदान निष्फल सिद्ध हुआ और वह स्वयं उस आग में जल कर मर गई।
बस प्रह्लाद की इसी जीत की खुशी में होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
2. शिव पुराण के अनुसार, हिमालय की पुत्री पार्वती शिव से विवाह हेतु कठोर तप कर रही थीं और शिव भी तपस्या में लीन थे।
इंद्र का भी शिव-पार्वती विवाह में स्वार्थ छिपा था कि ताड़कासुर का वध शिव-पार्वती के पुत्र द्वारा होना था।
इसी वजह से इंद्र ने कामदेव को शिव जी की तपस्या भंग करने भेजा परन्तु शिव ने क्रोधित हो कामदेव को भस्म कर दिया।
शिव जी की तपस्या भंग होने के बाद देवताओं ने शिव को पार्वती से विवाह के लिए राजी कर लिया।
इस कथा के आधार पर होली में काम की भावना को प्रतीकात्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।
3. कंस को जब आकाशवाणी द्वारा पता चला कि वसुदेव और देवकी का आठवां पुत्र उसका विनाशक होगा तो कंस ने वसुदेव तथा देवकी को कारागार में डाल दिया।
कारागार में जन्मे देवकी के छ: पुत्रों को कंस ने मार दिया। सातवें पुत्र शेष नाग के अवतार बलराम थे जिनके अंश को जन्म से पूर्व ही वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया गया था।
आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का अवतार हुआ। वसुदेव ने रात में ही श्रीकृष्ण को गोकुल में नंद और यशोदा के यहां पहुंचा दिया और उनकी नवजात कन्या को अपने साथ ले आए।
कंस उस कन्या को मार नहीं सका और आकाशवाणी हुई कि कंस को मारने वाले ने तो गोकुल में जन्म ले लिया है।
तब कंस ने उस दिन गोकुल में जन्मे सभी शिशुओं की हत्या करने का काम राक्षसी पूतना को सौंपा।
वह सुंदर नारी का रूप बनाकर शिशुओं को विष का स्तनपान कराने गई लेकिन श्रीकृष्ण ने राक्षसी पूतना का वध कर दिया।
यह फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था। अत: बुराई के अंत की खुशी में होली मनाई जाने लगी।
4. पुराने समय में एक राजा हुए उनका नाम था राजा पृथु।
उनके समय में एक राक्षसी थी ढुंढी। वह नवजात शिशुओं को खा जाती थी।
राक्षसी को वर प्राप्त था कि उसे कोई भी देवता, मानव, अस्त्र या शस्त्र नहीं मार सकेगा।
न ही उस पर सर्दी, गर्मी और वर्षा का कोई असर होगा लेकिन शिव के एक श्राप के कारण बच्चों की शरारतों से मुक्त नहीं थी।
राजा को ढुंढी को खत्म करने के लिए राजपुरोहित ने एक उपाय बताया कि यदि फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन जब न अधिक सर्दी होगी
और गर्मी, क्षेत्र के सभी बच्चे एक-एक लकड़ी एक जगह पर रखें और जलाए, मंत्र पढ़ें और अग्रि की परिक्रमा करें तो राक्षसी मर जाएगी।
हुआ भी ऐसा ही इतने बच्चे एक साथ देखकर राक्षसी ढुंढी अग्रि के नजदीक आई तो उसका मंत्रों के प्रभाव से वहीं विनाश हो गया।
तब से इसी तरह मौज-मस्ती के साथ होली मनाई जाने लगी।
5.होली का त्यौहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा है। बसंत में एक-दूसरे पर रंग डालना श्रीकृष्ण लीला का ही अंग माना गया है।
मथुरा-वृंदावन की होली राधा-कृष्ण के प्रेम रंग में डूबी होती है। बरसाने और नंदगांव की लठमार होली जगप्रसिद्ध है।
होली पर होली जलाई जाती है अहंकार की, अहं की, वैर-द्वेष की, ईर्ष्या की, संशय की और प्राप्त किया जाता है विशुद्ध प्रेम।
Gana.ML पाठको के लिए Holi Special शायरी श्लोक
ये रंगो का त्यौहार आया है,
साथ अपने खुशियाँ लाया है,
हमसे पहले कोई रंग न दे आपको,
इसलिए हमने शुभकामनाओंका रंग,
सबसे पहले भिजवाया है,
“हेप्पी होली”
वसंत ऋतु की बहार,
चली पिचकारी उड़ा है गुलाल,
रंग बरसे नीले हरे लाल,
मुबारक हो आपको होली का त्यौहार.
थोड़ा सा हरा रंग है थोड़ा सा लाल रंग है
होली खुशियों से भर गई मेरी क्यूंकि तू मेरे संग है
आज मुझसे मत पूछ की इतना खुश क्यूँ हूँ मैं
तू है जो मेरे साथ तो ज़िन्दगी में नई उमंग है.
माना जाता है कि होली पर्व का प्रारंभ प्रह्लाद और होलिका से जुड़ा है।
दोनों की कथा विष्णु पुराण में उल्लिखित है। हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर वरदान प्राप्त कर लिया।
अब वह न तो पृथ्वी पर मर सकता था, न आकाश में, न दिन में, न रात में, न घर में, न बाहर, न अस्त्र से, न शस्त्र से, न मानव से, न पशु से।
वरदान के बल से उसने देवताओं-मानव आदि लोकों को जीत लिया और विष्णु पूजा बंद करा दी, परन्तु पुत्र प्रह्लाद को नारायण की भक्ति से विमुख नहीं कर सका।
हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को बहुत यातनाएं दीं परन्तु उसने विष्णु भक्ति नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी।
अत: दैत्यराज ने होलिका को प्रह्लाद का अंत करने के लिए प्रह्लाद सहित आग में प्रवेश करा दिया परन्तु होलिका का वरदान निष्फल सिद्ध हुआ और वह स्वयं उस आग में जल कर मर गई।
बस प्रह्लाद की इसी जीत की खुशी में होली का त्यौहार मनाया जाने लगा।
2. शिव पुराण के अनुसार, हिमालय की पुत्री पार्वती शिव से विवाह हेतु कठोर तप कर रही थीं और शिव भी तपस्या में लीन थे।
इंद्र का भी शिव-पार्वती विवाह में स्वार्थ छिपा था कि ताड़कासुर का वध शिव-पार्वती के पुत्र द्वारा होना था।
इसी वजह से इंद्र ने कामदेव को शिव जी की तपस्या भंग करने भेजा परन्तु शिव ने क्रोधित हो कामदेव को भस्म कर दिया।
शिव जी की तपस्या भंग होने के बाद देवताओं ने शिव को पार्वती से विवाह के लिए राजी कर लिया।
इस कथा के आधार पर होली में काम की भावना को प्रतीकात्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।
3. कंस को जब आकाशवाणी द्वारा पता चला कि वसुदेव और देवकी का आठवां पुत्र उसका विनाशक होगा तो कंस ने वसुदेव तथा देवकी को कारागार में डाल दिया।
कारागार में जन्मे देवकी के छ: पुत्रों को कंस ने मार दिया। सातवें पुत्र शेष नाग के अवतार बलराम थे जिनके अंश को जन्म से पूर्व ही वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया गया था।
आठवें पुत्र के रूप में श्रीकृष्ण का अवतार हुआ। वसुदेव ने रात में ही श्रीकृष्ण को गोकुल में नंद और यशोदा के यहां पहुंचा दिया और उनकी नवजात कन्या को अपने साथ ले आए।
कंस उस कन्या को मार नहीं सका और आकाशवाणी हुई कि कंस को मारने वाले ने तो गोकुल में जन्म ले लिया है।
तब कंस ने उस दिन गोकुल में जन्मे सभी शिशुओं की हत्या करने का काम राक्षसी पूतना को सौंपा।
वह सुंदर नारी का रूप बनाकर शिशुओं को विष का स्तनपान कराने गई लेकिन श्रीकृष्ण ने राक्षसी पूतना का वध कर दिया।
यह फाल्गुन पूर्णिमा का दिन था। अत: बुराई के अंत की खुशी में होली मनाई जाने लगी।
4. पुराने समय में एक राजा हुए उनका नाम था राजा पृथु।
उनके समय में एक राक्षसी थी ढुंढी। वह नवजात शिशुओं को खा जाती थी।
राक्षसी को वर प्राप्त था कि उसे कोई भी देवता, मानव, अस्त्र या शस्त्र नहीं मार सकेगा।
न ही उस पर सर्दी, गर्मी और वर्षा का कोई असर होगा लेकिन शिव के एक श्राप के कारण बच्चों की शरारतों से मुक्त नहीं थी।
राजा को ढुंढी को खत्म करने के लिए राजपुरोहित ने एक उपाय बताया कि यदि फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन जब न अधिक सर्दी होगी
और गर्मी, क्षेत्र के सभी बच्चे एक-एक लकड़ी एक जगह पर रखें और जलाए, मंत्र पढ़ें और अग्रि की परिक्रमा करें तो राक्षसी मर जाएगी।
हुआ भी ऐसा ही इतने बच्चे एक साथ देखकर राक्षसी ढुंढी अग्रि के नजदीक आई तो उसका मंत्रों के प्रभाव से वहीं विनाश हो गया।
तब से इसी तरह मौज-मस्ती के साथ होली मनाई जाने लगी।
5.होली का त्यौहार राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम से भी जुड़ा है। बसंत में एक-दूसरे पर रंग डालना श्रीकृष्ण लीला का ही अंग माना गया है।
मथुरा-वृंदावन की होली राधा-कृष्ण के प्रेम रंग में डूबी होती है। बरसाने और नंदगांव की लठमार होली जगप्रसिद्ध है।
होली पर होली जलाई जाती है अहंकार की, अहं की, वैर-द्वेष की, ईर्ष्या की, संशय की और प्राप्त किया जाता है विशुद्ध प्रेम।
Gana.ML पाठको के लिए Holi Special शायरी श्लोक
ये रंगो का त्यौहार आया है,
साथ अपने खुशियाँ लाया है,
हमसे पहले कोई रंग न दे आपको,
इसलिए हमने शुभकामनाओंका रंग,
सबसे पहले भिजवाया है,
“हेप्पी होली”
राधा के रंग और कनैया की पिचकारी,
प्यार के रंग से रंग दो दुनिया सारी,
ये रंग ना जाने कोई मजहब ना बोली,
मुबारक हो आपको खुशियो भरी होली.
वसंत ऋतु की बहार,
चली पिचकारी उड़ा है गुलाल,
रंग बरसे नीले हरे लाल,
मुबारक हो आपको होली का त्यौहार.
होली के इस त्यौहार को, समजो मेरे प्यार को,
यह त्यौहार है मेरे सच्चे प्यार का इजहार,
रंगों के त्यौहार में सभी रंगों की हो भरमार,
ढेर सारी खुशियो से भरा हो आपका संसार,
यही दुआ है भगवन से हमारी हर बार.
थोड़ा सा हरा रंग है थोड़ा सा लाल रंग है
होली खुशियों से भर गई मेरी क्यूंकि तू मेरे संग है
आज मुझसे मत पूछ की इतना खुश क्यूँ हूँ मैं
तू है जो मेरे साथ तो ज़िन्दगी में नई उमंग है.
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